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यूपी के बस्ती का बदलेगा नाम …? मिलेगा यूनिवर्सिटी का तोहफा

 

यूपी के बस्ती का बदलेगा नाम …? मिलेगा यूनिवर्सिटी का तोहफा !

देश के सभी नागरिकों को एक समान बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिले इसके लिए केंद्र से लेकर सभी राज्यों की सरकारें प्रयासरत रहती हैं और योजनाएं संचालित करती हैं, लेकिन अभी भी देश के कई ऐसे इलाके हैं जहां लोगों को बुनियादी सुविधाएं प्राप्त करने के लिए भी संघर्ष करनी पड़ती है। यह बाते हर्रैया विधायक अजय सिंह ने विधानसभा सदन में रखी। 

विधानसभा सत्र के दौरान हरैया विधायक अजय सिंह ने बस्ती जिले का नाम वशिष्ठ नगर करने व बस्ती में हिंदी विश्वविद्यालय खोलने की मांग रखी है। यह कमियां केवल दूर दराज़ के ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं होती हैं, बल्कि शहरी क्षेत्रों में आबाद स्लम बस्तियों की स्थिति भी ऐसी है, जहां रोज़गार का अभाव, बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच से दूर, पीने का साफ़ पानी और बेहतर सड़क सहित अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की कमियां रहती हैं, यूपी का बस्ती जिला स्लम बस्ती उन्हीं वंचित वर्गों को दर्शाती है जो सामाजिक न्याय और बुनियादी सुविधाओं से लगातार वंचित हैं। सदन में विधायक अजय सिंह ने बस्ती के पौराणिक महत्व को बताते हुए सदन में बताया कि बस्ती कितनी ऐतिहासिक और पौराणिक है। बस्ती जनपद ने तमाम महान विभूतियां को जन्म दिया है। बस्ती में मख क्षेत्र कहे जाने वाले मखौड़ा धाम है ,जहां भगवान श्री राम की उत्पत्ति के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ आयोजित किया गया था। बस्ती जनपद का लेखनी के क्षेत्र में भी प्रमुख योगदान है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल जैसे तमाम महान विभूतियों ने इस धरती पर जन्म लिया है। विधायक ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा की बस्ती जिले का नाम तत्काल वशिष्ठ नगर किया जाए। ज़िले के सभी विभागों से सहमति प्राप्त करने के बाद बस्ती ज़िले का नाम बदलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि ज़िले का नाम बदलने पर आने वाले खर्च सभी विभाग मिलकर वहन करेंगे। इसके लिये कोई अतिरिक्त शासकीय व्यय नहीं होगा। इस आशय की रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग ने भी दी है। प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि रामायण काल में बस्ती में भगवान श्रीराम के कुलगुरू महर्षि वशिष्ठ का आश्रम होने के कारण इसका नाम वशिष्ठी था। यहाँ स्थित मखौड़ा धाम में राजा दशरथ ने महर्षि वशिष्ठ की प्रेरणा से ही पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था। इससे पहले 16 नवंबर 2019 को यह प्रस्ताव भेजा गया। नाम बदलने पर होने वाले व्यय के बारे में परिषद ने जानकारी मांगी तो एक करोड़ का भारी भरकम खर्च बता दिया गया, जिससे यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई और यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। बस्ती ज़िले का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक महत्त्व है। प्राचीन काल में यह कोसल साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। 1865 में इसे गोरखपुर से अलग करके ज़िला बनाया गया और वर्ष 1997 में इसे मंडल बनाया गया। 

बस्ती में विश्वविद्यालय बनाने की फिर उठी मांग

बस्ती में आचार्य राम चन्द्र शुक्ल हिन्दी विवि की स्थापना को लेकर एक बार फिर से मुहिम तेज हो गई है। सिंह ने सदन में सभापति से कहा बस्ती में एक बार फिर विश्वविद्यालय बनाने की मांग उठी है, इसके लिए स्थानीय लोगों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मांग की थी। पिछले 25 साल से विश्वविद्यालय बनाने की मांग चली आ रही है। बस्ती जनपद के जनप्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर मुखर होने की भी अपील किया है। कहा कि आचार्य शुक्ल जैसी विभूति को सम्मान देने से बस्ती की पहचान बनेगी। पूर्व मुख्यमंत्री जगदंबिका पाल ने बस्ती जनपद में बनने वाले विश्वविद्यालय को अपने लोकसभा क्षेत्र सिद्धार्थनगर में लेकर चले गए और वहां कपिल वस्तु में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की स्थापना हो गई, साथ ही बस्ती के छात्रों व युवाओ की सपना चकनाचूर हो गया। आज भी जनपद में विश्व विध्यालय की स्थापना का प्रयास जारी है, बस्ती के रहवासी लगातार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग कर रहे हैं, और बस्ती में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के नाम से हिंदी विश्वविद्यालय भी खोला जाए। विधायक ने कहा कि तमाम विभूतियां होने के पश्चात भी आज बस्ती एक बस्ती बनकर रह गई है। बस्ती को उचित पहचान दिलाने के लिए विधायक का प्रयास लगातार जारी रहेगा। जब तक बस्ती को उसकी असली पहचान नहीं मिल जाती। यहां रहने वाले परिवार मजदूर वर्ग और न्यूनतम आय की श्रेणी में आते हैं जो दिन में दो वक़्त की रोटी कमाने के लिए भी प्रतिदिन संघर्ष करते हैं, लेकिन उनके जीवन की मुश्किलें सिर्फ़ गरीबी तक सीमित नहीं है, झुग्गियों में रहने वाले लोग विशेषकर महिलाएं और किशोरियां अक्सर अपने अधिकारों के लिए भी संघर्ष करती हैं, उन्हें न तो बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल पाता है और न ही आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध हो पाते हैं। 

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